- पटना। बिहार सरकार की ओर से ग्रामीण क्षेत्रों के सतत विकास और स्वच्छता मिशन को आगे बढ़ाने के लिए चलाई जा रही मुख्यमंत्री ग्रामीण सोलर स्ट्रीट लाइट योजना अब एक प्रभावशाली मॉडल के रूप में सामने आ रही है। इसका मकसद सिर्फ गांवों की गलियों को रोशन करना नहीं, बल्कि पर्यावरण के अनुकूल, सुरक्षित और तकनीक से सुसज्जित आत्मनिर्भर ग्राम व्यवस्था को विकसित करना है।
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- 6 लाख से अधिक सोलर लाइटों की स्थापना: ग्रामीण रोशनी की नई परिभाषा
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- अब तक इस योजना के अंतर्गत 6 लाख से अधिक सोलर स्ट्रीट लाइटें राज्य के विभिन्न गांवों में स्थापित की जा चुकी हैं। यह आंकड़ा दर्शाता है कि यह योजना न सिर्फ सफल रही है, बल्कि गांवों के सामाजिक और आर्थिक परिदृश्य को भी बदलने में मददगार साबित हो रही है। गांवों की गलियां अब सुरक्षित, प्रकाशित और सुलभ बन रही हैं—विशेष रूप से रात के समय महिलाओं और बुजुर्गों के लिए।
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- तकनीक से मिली निगरानी को मजबूती
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- इस योजना की खास बात यह है कि इसकी मॉनिटरिंग भी पूरी तरह तकनीकी प्रणाली से की जाती है। बिहार अक्षय ऊर्जा विकास अभिकरण (BREDA) द्वारा विकसित केंद्रीकृत निगरानी प्रणाली के जरिए यह सुनिश्चित किया गया है कि यदि कोई लाइट खराब होती है, तो उसकी जानकारी रियल टाइम में संबंधित एजेंसी को मिल जाए।
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- प्रत्येक शिकायत के बाद एजेंसी को 72 घंटे के भीतर मरम्मत कार्य पूरा करना अनिवार्य है।
- तय समयसीमा में सुधार नहीं होने पर एजेंसी पर प्रति दिन प्रति लाइट ₹10 का जुर्माना लगाया जाता है।
- इस तकनीकी हस्तक्षेप ने योजना को न सिर्फ प्रभावी बनाया है, बल्कि ट्रांसपेरेंसी और कार्य क्षमता को भी बढ़ाया है।
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- फेज-3 में आई चुनौतियां, 17 एजेंसियों पर कार्रवाई
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- हालांकि योजना के तीसरे चरण में कुछ एजेंसियों की लापरवाही सामने आई है। समय पर काम पूरा न करने और अनुबंध के नियमों का उल्लंघन करने वाली 17 एजेंसियों को शोकॉज नोटिस जारी किया गया है।
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- पंचायती राज विभाग के अनुसार:
- किसी भी एजेंसी को 90 दिनों के भीतर लाइट की स्थापना और संधारण कार्य पूरा करना होता है।
- लेकिन कई एजेंसियों ने कार्य की गति धीमी रखी और प्रगति असंतोषजनक रही।
- इन्हें 7 दिनों के भीतर जिला पंचायत राज पदाधिकारी के समक्ष स्पष्टीकरण देना होगा, अन्यथा उनके खिलाफ सख्त कदम उठाए जाएंगे।
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- स्थानीय भागीदारी और जवाबदेही का नया मॉडल
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- जनसहभागिता को बढ़ावा देने और सेवा की गुणवत्ता को बेहतर बनाने के लिए सरकार अब हर 10,000 लाइटों पर एक सर्विस स्टेशन की व्यवस्था कर रही है।
- प्रत्येक पोल पर एक व्हाट्सएप नंबर अंकित किया जाएगा, जिस पर स्थानीय लोग लाइट की समस्या की जानकारी दे सकेंगे।
- इससे न सिर्फ शिकायत दर्ज कराना आसान होगा, बल्कि एजेंसियों की जवाबदेही भी तय होगी।
- यह मॉडल जनता को योजना के केंद्र में लाने की दिशा में एक सशक्त कदम है।
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- निष्कर्ष: एक योजना, कई सकारात्मक प्रभाव
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- मुख्यमंत्री ग्रामीण सोलर स्ट्रीट लाइट योजना आज सिर्फ एक इन्फ्रास्ट्रक्चर प्रोजेक्ट नहीं, बल्कि बिहार के गांवों के लिए एक सुरक्षा कवच और विकास की रेखा बन गई है। जहां एक ओर यह पर्यावरण को नुकसान पहुंचाए बिना ऊर्जा समाधान प्रदान कर रही है, वहीं दूसरी ओर यह ग्रामीण इलाकों को सुरक्षित, समृद्ध और स्मार्ट बना रही है।
- आने वाले समय में, यदि यह योजना इसी गति और जवाबदेही के साथ आगे बढ़ती रही, तो बिहार का हर गांव न सिर्फ रोशन होगा, बल्कि डिजिटल ट्रैकिंग और लोक भागीदारी के जरिए पूरी तरह स्वच्छ और सशक्त भी बन जाएगा।
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