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MBBS की चाह में क्यों खींच रहा है विदेश, क्या है इसके पीछे की असली वजह? जानें डिटेल

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Medical Education: NEET-UG की परीक्षा में इस साल 23 लाख छात्रों ने भाग लिया, जबकि MBBS की सीटें केवल 1.1 लाख हैं. इसके लिए भारतीय छात्र विदेश में मेडिकल पढ़ाई करने की ओर रुख कर रहे हैं.

MBBS की चाह में क्यों खींच रहा है विदेश, क्या है इसके पीछे की असली वजह?
Medical Education के लिए विदेश क्यों चुन रहे हैं भारतीय छात्र
Medical Education: वर्ष 2025 में NEET-UG परीक्षा में करीब 23 लाख छात्र शामिल हुए, जबकि देशभर में MBBS की कुल सीटें लगभग 1.1 लाख हैं. इस भारी अंतर के कारण कई भारतीय छात्र अपनी मेडिकल पढ़ाई के लिए विदेश के कॉलेजों का रुख कर रहे हैं. भारत में मेडिकल शिक्षा की मांग बहुत अधिक है, लेकिन सीटें सीमित होने की वजह से छात्र विकल्प तलाश रहे हैं.

सरकारी मेडिकल कॉलेजों में सीमित सीटें और बढ़ती प्रतिस्पर्धा

देश के लगभग 55,000 सरकारी मेडिकल कॉलेजों में फीस सब्सिडी के बावजूद सीटें कम हैं. इसलिए, उच्च अंक लाने वाले छात्रों को या तो महंगे निजी कॉलेजों में जाना पड़ता है या फिर वे विदेश में पढ़ाई का रास्ता चुनते हैं. विशेषज्ञों के अनुसार, यह रुझान छात्रों की पसंद नहीं बल्कि मजबूरी है.

विदेश में पढ़ाई के फायदे: लचीले प्रवेश मानदंड और बेहतर अवसर

एक मेडिकल एजुकेशन सलाहकार के मुताबिक, विदेश में मेडिकल पढ़ाई से भारत के कड़े शैक्षणिक दबाव कम हो सकते हैं. मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार मणिपाल के अमेरिकन यूनिवर्सिटी ऑफ एंटीगुआ के कंट्री हेड अरुणेश कुमार बताते हैं कि विदेशी कॉलेज अक्सर छात्रों के शैक्षणिक प्रदर्शन, लैग्वेंज स्किल और अन्य गुणों के आधार पर लचीले प्रवेश मानदंड रखते हैं, जो छात्रों के लिए आसान होता है.

आधुनिक सुविधाएं और वैश्विक अनुभव की सुविधा

अंतरराष्ट्रीय मेडिकल विश्वविद्यालयों में आधुनिक सुविधाएं, एकीकृत कोर्स और जल्द क्लिनिकल अनुभव उपलब्ध है. उदाहरण के लिए कैरिबियन के कई मेडिकल कॉलेज US के अस्पतालों में क्लिनिकल ट्रेनिंग भी देते हैं. इससे छात्रों को विभिन्न देशों के साथियों से सीखने और वैश्विक स्वास्थ्य प्रणाली को समझने का मौका मिलता है.

मान्यता और वैश्विक करियर के अवसर

कई विदेशी मेडिकल कॉलेज विश्व चिकित्सा विद्यालयों की निर्देशिका (WDOMS) में शामिल हैं और विश्व चिकित्सा शिक्षा महासंघ (WFME), ECFMG और क्षेत्रीय प्राधिकरणों से मान्यता प्राप्त हैं. ये मान्यताएं छात्रों को अमेरिका, ब्रिटेन, कनाडा जैसे देशों में मेडिकल लाइसेंस परीक्षा पास कर करियर बनाने का मौका देती हैं.

चुनौतियां और रणनीतिक विकल्प

विदेश में मेडिकल पढ़ाई के दौरान सांस्कृतिक बदलाव और विदेशी लाइसेंसिंग परीक्षाएं चुनौतियां हैं, लेकिन विशेषज्ञ मानते हैं कि यह छात्रों के लिए एक दूरदर्शी और रणनीतिक निर्णय है. वे जो घरेलू मेडिकल सीट नहीं पा सके हैं या वैश्विक करियर चाहते हैं, उनके लिए यह एक जरूरी विकल्प बन गया है.

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Munna Kumar
पत्रकारिता के क्षेत्र में 8 वर्षों से अधिक का अनुभव. दूरदर्शन, ज़ी मीडिया और News18 के साथ काम किया है. इन्होंने अपने करियर की शुरुआत दूरदर्शन दिल्ली से की, बाद में ज़ी मीडिया से जुड़े और वर्तमान में News18 Hin...और पढ़ें
पत्रकारिता के क्षेत्र में 8 वर्षों से अधिक का अनुभव. दूरदर्शन, ज़ी मीडिया और News18 के साथ काम किया है. इन्होंने अपने करियर की शुरुआत दूरदर्शन दिल्ली से की, बाद में ज़ी मीडिया से जुड़े और वर्तमान में News18 Hin... और पढ़ें
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